मॉयल के बारे में

मॉयल के बारे में

मॉयल लिमिटेड, इस्पात मंत्रालय भारत सरकार के अधीन मिनीरत्‍न शेड्यूल-ए सार्वजनिक उपक्रम है। जिसकी स्‍थापना 1962 में मैंगनीज ओर (इंडिया) लिमिटेड के रूप में हुई । इसके पश्‍चात, वित्तीय वर्ष 2010-11 के दौरान कंपनी का नाम मैंगनीज ओर (इंडिया) लिमिटेड से परिवर्तित कर मॉयल लिमिटेड रखा गया। 

मॉयल को मूल रूप से वर्ष 1896 में सेंट्रल प्रोस्पेक्टिंग सिंडिकेट के रूप में स्थापित किया गया था, जिसके बाद सेंट्रल प्रोविंस मैंगनीज अयस्क कंपनी लिमिटेड (सीपीएमओ) के रूप में परिवर्तित किया गया जो ब्रिटेन में निगमित एक ब्रिटिश कंपनी थी। वर्ष 1962 में, भारत सरकार एवं सीपीएमओ  के बीच हुए समझौते के परिणामस्वरूप, सरकार द्वारा परिसंपत्तियों को अधिग्रहण कर लिया गया एवं भारत सरकार एवं मध्‍य प्रदेश की राज्‍य सरकारों के मध्‍य 51% पूंजी एवं सीपीएमओ द्वारा शेष 49% के साथ मॉयल का गठन किया गया। वर्ष 1977 में, सीपीएमओ से शेष 49% हिस्‍सेदारी हासिल कर, मॉयल, इस्पात मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन 100% सरकारी कंपनी बन गई।

वित्तीय वर्ष 2010-11 के दौरान, 15 दिसंबर, 2010 को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एवं बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में मॉयल को सूचीबद्ध किया गया। सूचीबद्ध के पश्‍चात, कंपनी में भारत सरकार की (71.57%), महाराष्ट्र सरकार (4.62%), मध्य प्रदेश सरकार (3.81%) एवं सार्वजनिक (20%) की हिस्सेदारी थी। वर्तमान में कंपनी की हिस्‍सेदारी का ढांचा भारत सरकार (53.35%), महाराष्ट्र सरकार (5.96%), मध्य प्रदेश सरकार (5.38%) एवं सार्वजनिक (35.31%) की है।

वर्तमान में, मॉयल 11 खदानों का संचालन करती है, जिसमें 7 महाराष्ट्र के नागपुर और भंडारा जिलों में एवं 4 मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में स्थित हैं। ये सभी खदानें लगभग एक सदी पुरानी हैं। बालाघाट खान कंपनी की सबसे बड़ी खान है। खदान की खनन गहराई सतह से लगभग 435 मीटर तक पहुंच गई है। महाराष्ट्र के भंडारा जिले में स्थित डोंगरी बुज़ुर्ग खदान, ओपनकास्‍ट मैंगनीज की खदान है जो शुष्‍क सेल बैटरी उद्योग में उपयोग किये जाने वाले मैंगनीज डाइऑक्‍साइड अयस्‍क का उत्‍पादन करती है। इस अयस्क का उपयोग मैंगनस ऑक्साइड के रूप में मवेशियों के चारे और खाद के सूक्ष्म पोषक तत्व के रूप में किया जाता है। मॉयल भारत में डाइऑक्साइड अयस्क की कुल आवश्यकताओं का लगभग 46% पूरा करता है। वर्तमान में, वार्षिक उत्पादन का लगभग 1.3 मिलियन टन है जिससे आगामी वर्षों में और बढ़ने की संभावना है।

मॉयल मैंगनीज अयस्क के विभिन्न श्रेणीयों का उत्पादन एवं बिक्री करती है जो निम्नलिखित हैं: -

• फेरो मैंगनीज के उत्पादन हेतु उच्च श्रेणी के अयस्क

•  सिलिको मैंगनीज के उत्पादन हेतु मध्यम श्रेणी अयस्क  

•  गर्म धातु के उत्पादन के लिए ब्लास्ट फर्नेस श्रेणी अयस्क की आवश्यकता होती है

•  शुष्क सेल बैटरी एवं रासायनिक उद्योगों के लिए डाइऑक्साइड।

मॉयल ने इलेक्ट्रोलाइटिक मैंगनीज डाइऑक्साइड (ईएमडी) से 1,500 मीट्रिक टन प्रति वर्ष की क्षमता का निर्माण करने के लिए स्वदेशी तकनीक पर आधारित एक संयंत्र की स्‍थापना की है।  इस उत्पाद का उपयोग शुष्‍क सेल बैटरी के निर्माण के लिए किया जाता है। कंपनी द्वारा निर्मित्‍त उच्‍च गुणवत्ता का इलेक्ट्रोलाइटिक मैंगनीज डाइऑक्साइड को पूर्ण रूप से बाजारों में स्‍वीकार किया जाता है। मॉयल के पास मूल्य संवर्धन के लिए 12,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष की क्षमता वाला फेरो मैंगनीज संयंत्र है।  

मॉयल ने ऊर्जा के गैर-परंपरागत संसाधनों को बढ़ावा देने के लिए, मध्य प्रदेश के देवास जिला के रेतड़ी हिल्स में 15.2 मेगावाट पवन ऊर्जा एवं नागदा हिल्स में 4.8 मेगावाट पवन ऊर्जा फ़ार्म स्थापित किए हैं। 


अंतिम संशोधित : 02-11-2024